॥दोहा॥ गाँव रूनीचे बिराजीया, बाबो दर्शन दीना आय, भादरवा री बीज ऊजाली, प्रगट्या आंगनीया रे माय, ओ रामाधणी आया, अजमल आंगनीया रे माय॥ बाबा गाँव रूनीचे, भला बिराज्या आप, धणी जुगडा रे माय, ओ म्हाने दर्शन देवो, टाबर आयो आज धाम, चरना रे माय ए हा॥ ओ बाबा बीज ऊजाली, आप पधारीया, इन धोरां धरती
हम तो आए हैं बाबा रूनीचा गांव में प्यार की छाव मे बैठाए रखना रामापीर रामापीर क्या कहूँ मैं बाबा मेरे चाहूँ पाऊं नित दर्शन तेरे गंगा-जमुना-सरस्वती बहे रामदेव आप स्नान करे रामापीर रामापीर तुमने ना जाने यहाँ कितनो को तारा हर कोई लगता यह देखो दिवाना तुम ही से शुरू तुम ही पे कहानी
राम कहूँ के रामदे, हीरा कहूं के लाल, ज्याने मिल गया रामदेव, पल में कीन्हा निहाल। खम्मा खम्मा खम्मा ओ, कंवर अजमाल रा-२ थाने तो पूजे राजस्थान जी ओ, गुजरात जियो, ओ ख़म्मा घणी घणी ख़म्मा, राजा रामसापीर ने।। भादरवा री बीज चांदनी, अजमल घर अवतार लियो, कुंकुम पगल्या मांड सांवरीयो, पालनीया मे पोड गयो,
॥दोहा॥ जब भार बढ्यो धरती पर, हरी लियो अवतार। पापी दुष्टांने मारीया, निकळंक नेजाधार॥ हे रूणीचे रा धणियाँ, अजमाल जी रा कँवरा , माता मेणादे रा लाल, राणी नेतल रा भरतार, म्हारो हेलो, सुणो नी रामा पीर जी॥ घर-घर होवे पूजा थांरी, गाँव-गाँव जस गावे जी। जो कोई लेवे नाम धणी रो, मन चाया फळ
॥ दोहा ॥ बीरां म्हारा रामदेव, नेतल रा भरतार। आ सुगणा री वीणती, एकर लेवण आय॥ सुगणा रे ऊभी डागळिये, नेणां में ढळके नीर। लेवण आवो वीरा रामदेव, थे हो जग में पीर ॥ आवण – जावण कह गया रे, आई रे सावणियाँ री तीज, दर्शण प्यासी सुगणा बाई, होवे है आधीन॥ सुगणा रे ऊभी