इस दुनिया में जब-जब भी भगवान ने अवतार लिया है किसी ने किसी कृति बुराइयों को समाप्त करने के लिए निराकार से साकार रूप में अवतार लेकर इस धरती पर आए। रामदेव जी की उम्र 5 वर्ष की रही होगी और रामदेव जी ने पटोला क्यों की एक रुपाराम को दर्जी जिससे पूरा रामदेवरा परेशान
अरज सुण ले रे रामा-२ म्हारो राम रुणीजा वालो, अरज सुण ले रे रामा। हां जामो बिराजे हरी ने केसरियो रे रामा, तो सिर पर पचरंगी पाग, अरज सुण ले रे रामा। हां धोलो घोड़ीलो मुख हांसलो रे रामा, तो मोत्या से जड़ी है लगाम, अरज सुण ले रे रामा। हां कमर कटारो सोवे बांकड़ों
बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी, अजमल जी रा कवरा थाने खम्मा घणी, बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी, (बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घणी) अजमल जी रा कवरा थाने खम्मा घणी, थे मरूधर रा हो देव थारी, ध्वजा फिरूके सारे देश में, साचा मन से धावे उनरो रो, जन्म सफल होवे मलका, (माता नेणाधरा
अजमल जी रा कंवरा, भूलूं ना एक घड़ी। महाराज कंवर ने, भूलूं ना एक घड़ी। भूलूं ना एक घड़ी, भूलूं ना एक घड़ी। अजमल जी रा कंवरा भूलूं ना एक घड़ी॥ दूर देश रा बाबा, आवे थारे जातरी, दरगाह में भिड़ घणी-२ अजमल जी रा कंवरा, भूलूं ना एक घड़ी। महाराज कंवर ने, भूलूं ना
हाथ जोड़ कर मांगता हूं, ऐसा हो जन्म, तेरे नाम से शुरू, तेरे नाम पे खत्म।। तेरे चलते बनी मेरी पहचान सावरे, वरना गली गली में घूमते, हो हो.. ओ, वरना गली गली में घूमते, हम बनके बावरे अब उठेगा तेरी राहो में जो, मेरा हर कदम, तेरे नाम से शुरू………।। जाने अनजाने में ऐसा
चार खूंट और चौदह भवन में हो रही जय जयकार जग मग जग मग जोतां जागे, जय हो नेजा थारी, पिछम धरां सूं म्हारां पीर जी पधारियाँ, पिछम धरां सूं म्हारां बाप जी पधारिया, घर अजमल अवतार लियो, लाछां सुगणा उतारे हरी री आरती, हरजी रे भाटी चँवर ढोळे, बैकुण्ठा में बाबा होवे थारी आरती।