Category: आरतियाँ

Tulsi Mata Aarti – तुलसी माता आरती

जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता। जय जय तुलसी माता। सब योगों के ऊपर, सब लोगों के ऊपर, रुज से रक्षा करके भव त्राता। जय जय तुलसी माता। बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या, विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता। जय जय तुलसी माता। हरि के शीश विराजत

Shri Khatu Shyam Aarti – श्री खाटू श्याम आरती

ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे। खाटू धाम विराजत,अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे। तन केसरिया बागो,कुण्डल श्रवण पड़े॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ गल पुष्पों की माला,सिर पर मुकुट धरे। खेवत धूप अग्नि पर,दीपक ज्योति जले॥ ॐ जय श्री श्याम हरे॥ मोदक खीर

Maa Baglamukhi Aarti – माँ बगलामुखी आरती

जय जय श्री बगलामुखी माता,आरति करहुँ तुम्हारी। जय जय श्री बगलामुखी माता,आरति करहुँ तुम्हारी। पीत वसन तन पर तव सोहै,कुण्डल की छबि न्यारी॥ कर-कमलों में मुद्गर धारै,अस्तुति करहिं सकल नर-नारी॥ जय जय श्री बगलामुखी माता…। चम्पक माल गले लहरावे,सुर नर मुनि जय जयति उचारी॥ त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,भक्ति सदा तव है सुखकारी॥ जय

Shitala Mata Aarti – शीतला माता आरती

जय शीतला माता,मैया जय शीतला माता। आदि ज्योति महारानीसब फल की दाता॥ ॐ जय शीतला माता…। रतन सिंहासन शोभित,श्वेत छत्र भाता। ऋद्धि-सिद्धि चँवर डोलावें,जगमग छवि छाता॥ ॐ जय शीतला माता…। विष्णु सेवत ठाढ़े,सेवें शिव धाता। वेद पुराण वरणतपार नहीं पाता॥ ॐ जय शीतला माता…। इन्द्र मृदङ्ग बजावतचन्द्र वीणा हाथा। सूरज ताल बजावैनारद मुनि गाता॥ ॐ

Shri Mahakali Aarti – श्री महाकाली माता आरती

मंगल की सेवा, सुन मेरी देवाहाथ जोड़, तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी, ध्वजा, नारियल,ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥ मंगल की सेवा सुन मेरी देवा। सुन जगदम्बे, कर न विलम्बेसंतन के भण्डार भरे। संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली,मैया जै काली कल्याण करे॥ मंगल की सेवा सुन मेरी देवा। बुद्धि विधाता, तू जग माता,मेरा कारज सिद्ध करे। चरण कमल

Gayatri Mata Aarti – गायत्री माँ आरती

जयति जय गायत्री माता,जयति जय गायत्री माता। सत् मारग पर हमें चलाओ,जो है सुखदाता॥ जयति जय गायत्री माता…। आदि शक्ति तुम अलख निरञ्जनजग पालन कर्त्री। दुःख, शोक, भय, क्लेश,कलह दारिद्रय दैन्य हर्त्री॥ जयति जय गायत्री माता…। ब्रहृ रुपिणी, प्रणत पालिनी,जगतधातृ अम्बे। भवभयहारी, जनहितकारी,सुखदा जगदम्बे॥ जयति जय गायत्री माता…। भयहारिणि भवतारिणि अनघे,अज आनन्द राशी। अविकारी, अघहरी,

Shri Durga Aarti – श्री दुर्गा आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली,जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती,ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥ तेरे भक्त जनो पर माताभीर पड़ी है भारी। दानव दल पर टूट पड़ो माँकरके सिंह सवारी॥ सौ-सौ सिहों से बलशाली,है अष्ट भुजाओं वाली, दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ

Maa Vaishno Aarti – माँ वैष्णो आरती

जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥ शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी। गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,शंकर ध्यान धरे। सेवक चंवर डुलावत,नारद नृत्य करे॥ सुन्दर गुफा तुम्हारी,मन को अति भावे। बार-बार देखन को,ऐ माँ मन चावे॥ भवन पे झण्डे झूलें,घंटा ध्वनि बाजे। ऊँचा पर्वत तेरा,माता

Shri Saraswati Mata Aarti – आरती श्री सरस्वती माँ

जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता। सदगुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि,द्युति मंगलकारी। सोहे शुभ हंस सवारी,अतुल तेजधारी॥ जय सरस्वती माता॥ बाएं कर में वीणा,दाएं कर माला। शीश मुकुट मणि सोहे,गल मोतियन माला॥ जय सरस्वती माता॥ देवी शरण जो आए,उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी,रावण संहार किया॥ जय सरस्वती माता॥ विद्या ज्ञान

Shree Laxmi Maa Aarti – श्री लक्ष्मी आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥