दोहा : बार बार विनती करूं मांगू वरदान। मेरे बाबा बजरंग बालो दो भक्ति वरदान। चरणों में तेरे अरदास बालाजी पूरी करो भक्तो की आस बालाजी पूरी करो भक्तो…. बल ब्रह्मचारी राम जी के प्यारे हो अंजनी के लाल पवन के दुलारे हो केसरी कुमार रामदास बालाजी पूरी करो भक्तो…. चरणों में जो भी सवाली
ओ सालासर के सांवरिया, तेरे दर पर भिखारी आया है, आशा की झोली है कर में, तेरे द्वार पर अलख जगाया है। ओ सालासर के… भरते हो हजारों का दामन, तब ही प्रभु राम कहाए हो, मैं दीन अनाथ हूँ, श्याम प्रभु, भर दो मेरी खाली झोली। ओ सालासर के… मेरा निश्चय है बस एक
दोहा : आदि शक्ति के लाडले, राम भक्त सिरमौर। संकटमोचन आपसे, विनय करूं कर जोर।। रुदरवेश शंकर सुवन, पवन पुत्र हनुमान। जय संकट मोचन प्रभु, बजरंगी हनुमान।। दिन दुखियारी आन गिरे, दर तेरे सिर नाए। दया दृष्टि से भक्तन के, दीजो कष्ट मिटाये।। मन होजा दीवाना रे, बालाजी के चरणों में तू करले ठिकाना रे,
आओ पवन कुमार, तुझे भक्तों ने पुकारा है एक तेरा सहारा है, आओ पवन कुमार अंजनी के लाल तुम, हो राम के सेवक, जगह दिल में पा गये लांघा समुन्दर था, लंका जलाई थी, सिया सुधि पा गये हमारी भी सुध लेना, हमारी भी सुध लेना, कि जग में कोई न हमारा है, एक तेरा
लताओं पुष्प बरसाओ, मेरे भगवान आये हैं मेरे हनुमान आये हैं… ऐ कोयल मीठे स्वर गाओ, मेरे भगवान आये है। मेरे हनुमान आये है… लगी थी आशा सदियों से, हुए हैं आज वो दर्शन। निभाने आपने वादे को, पधारे खुद पतित पवन। मेरे कष्टों को हरने को, वो नंगे पाँव आये हैं। मेरे हनुमान आये
महावीर तुम्हारे द्वारे पर एक दास भिखारी आया है। प्रभु दर्शन भिक्षा पाने को, दो नयन कटोरे लाया है।। नहीं दुनिया में कोई मेरा है, आफत ने मुझे घेरा है। जग ने मुझको ठुकराया है, बस एक सहारा तेरा है।। महावीर तुम्हारे द्वारे…. मेरी बीच भंवर में नैया है, एक तू ही पर लगैया है।
गणपति को प्रथम मनाने की, देवों ने रीत चलाई है। तीनों लोको में छोटे-बड़े, सब करते इनकी बड़ाई है।। जो काम सभी करते आये, हमको भी वही दोहराना है। गणपति को प्रथम मनाना है…. कोई घृत सिंदूर चढ़ाते हैं, कोई लड्डूवन भोग लगते हैँ।। कोई मेवा थाल सजाते है, कोई छ्प्पन भोग बनाते है।। जिस
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को, मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है।। मैं जबसे सरन तेरी आया, मेरे राम भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल न रहा था सहारा -२ लहरों से लगी हुई नाव को -२ जैसे मिल न रहा हो किनारा-२ इस
बजरंगबली मेरी नाव चली, जरा बल्ली कृपा की लगा देना। मुझे रोग व शोक ने घेर लिया, मेरे ताप को नाथ मिटा देना।। मैं दास आपका जन्म से हूँ, बालक और शिष्य भी धर्म से हुँ।। बेशर्म, विमुख निज कर्म से हूँ, चित से मेरा दोष भुला देना। बजरंगबली मेरी नाव चली…. दुर्बल हूँ, गरीब