बिगड़ी मेरी बना दो, दुःख दर्द सब मिटादो दुःख सब के हरने वाले, मेरे बाबा भोले भाले मेरे शम्बू भोले भाले, मेरे बाबा भोले भाले॥ कोई भूल हो गयी हो, मेरे स्वामी माफ़ करना सेवक हैं हम तो तेरे, तुम दाता हो हमारे॥ दुःख संकटों से बाबा मुश्किल में घिर रहा हूँ शम्भू मुझे बचालो,
टेर : बजरंग बलि मेरी नाव चली जरा बलि कृपा की लगा देना। मुझे रोग दोष ने घेर लिया मेरे पापों को नाथ मिटा देना, मैं दास तो आपका जन्म से हूँ बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ। बजरंग बलि….. दुर्बल हूँ गरीब हूँ दीन हूँ मैं निज कर्म क्रिया मति छिण हूँ मैं,
टेर : हो रही जय जयकार बालाजी तेरे मंदिर में, उड़ रही लाल गुलाल बालाजी तेरे मंदिर में। भगत खड़े तोहे भजन सुनावे नाच नाच रमझोल मचावे , खुशियों के लगे अम्बार बालाजी तेरे मंदिर में। कोई मेवा पकवान चढ़ावे बार बार धन माल लुटावे, प्रशादी की बहार बालाजी तेरे मंदिर में। ध्वजा नारियल सवा
टेर : लहर लहर लहराए रे, झंडा बजरंग बली का। इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, सिया सुधि ले आये रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस झंडे को हाथ में लेके, हाथ में लेके साथ में लेके, अक्षय को मार गिराए रे, झंडा बजरंग बलि का। लहर-लहर…. इस
दोहा : जगमग ज्योत जगे नित तेरी हुआ अँधेरा नाश, भगतों के घर हुई रोशनी, मेरी भी पुरो आस। टेर : जलती रहे बजरंग बाला ज्योत तेरी जलती रहे। किसने ओ बाबा तेरा भवन बनाया किसने चवर झुलाया। ज्योत तेरी….. भगतों ने बाबा तेरा भवन बनाया सेवक चवर झुलाया ज्योत तेरी….. लाल सिंदूर बाबा अंग
हम लाये है आपके लिए प्रभु श्री राम जी का बहुत ही प्यारा भावपूर्ण भजन भक्तों को भाव विभोर करने के लिए श्री रामचंद्र जी का बहुत सुन्दर भजन के लिरिक्स। जय श्री राम। दोहा : मनका फेरत जुग भया, फिराना मन का फेर, कर का मनका डार दे मनका मनका फेर। टेर : मुझे
टेर : माया कोणी चले सागे रे, दया धर्म पुण्यदान भजन कर मिलसी आगे रे। पिछले जन्म में करी कमाई लगा रहा घर में ठाट, बिना भजन जो आये जगत में रहे है विपदा काट। माया कोणी….. मात पिता की सेवा कर ले, नित उठ ले आशीष, घर आँगन में मौज मनाओ सत्य है बिसवा
टेर : रुकमणी जीमण दे मने, भक्तों का प्रशाद, प्रेम वाला भोजन ऐ मने, लगे बड़ा स्वाद।। काचे चावल मत ना खाओ, कर से कृपा निधान। कच्चे-कच्चे चावलों से पेट दुखेगा कहा मेरा ले मान।। रुकमणी जीमण दे…. धन्ने भगत की गउए चराई, बाजरे की रोटियां खाई। अपने भक्त के खेत बाजरी, बिना बीज निप
Aao Ram ji Bhog Lagavo, Nij Bhakto ka Maan Badao. टेर : आओ राम जी भोग लगावो, निज भक्तों का मान बढ़ाओ। दुर्योधन का मेवा त्यागा, साग विदुर के घर खाओजी। कैरव कुल के घट की जानी, भगत को मान बढ़ायो।। आओ राम जी….. कर्मा के घर खीचड़ खायो, रुच रुच भोग लगायो जी। कई