तुम कहाँ गये गणराज, तुम्हे ढूंढ रहा जग आज, तुम लौट के आओ ना गजानन तुम लौट के आओ ना………. हाथ जोड़ के तुम्हे मनाऊ, मोतीचूर का भोग लगाऊ, तुम गौरा के हो बड़े लाडले, माँ गौरा की कसम चढाऊ, मोरी सुन लो अरज महाराज, तुम हो देवो के सरताज, तुम लौट के आओ ना
हरि नाम सुमर सुखधाम, जगत में जिवना दो दिन का सुन्दर काया देख लुभाया, गरब करै तन का गिर गई देह बिखर गई काया, ज्यूँ माला मनका॥१॥ सुन्दर नारी लगै पियारी, मौज करै मनका। काल बली का लाग्या तमंचा, भूल जाय ठन का॥२॥ झूठ कपट कर माया जोड़ी, गरब करै धन का। सब ही छोड़कर
बाबा मन्नै करया चालीसा तेरा, खेत के कोठड़े प डेरा, हो तेरा भजन करुं दिन रात, मन्नै दर्शन दे बालाजी। तन प बांधया लाल लंगोटा, चालीस दिन धरती में लोटया, हो नियम तं करी खुभात, मन्नै दर्शन दे बालाजी, हो तेरा भजन करुं दिन रात, मन्नै दर्शन दे बालाजी।। ना कदे खाया अन्न का दाणा,
भोले जपो जपो मन प्यारा मुक्ति मिले मिले छुटकारा तुझको जपना होगा तुझको जपना होगा भोले का जो नाम गाता नहीं है उसके कोई काम आता नहीं है भोले चरण को अगर जो बिसारे लगती नहीं नाव उसकी किनारे तुझको जपना होगा तुझको जपना होगा भोले जपो जपो मन प्यारा मुक्ति मिले मिले छुटकारा ऐसा
जाग रे नर जाग दीवाना, अब तो मूरख जाग रे । काँहि सूतो घन घोर नींद में, उठ भजन में लाग रे । ध्रुव जी जाग प्रहलाद जी जागा, जैसे बन्दा जाग रे । ध्रुव जी ने मिलगी असल फकीरी, प्रहलादे ने राज रे । जाग रे नर। गोरख जाग मच्छेन्दर जागा, जैसे मूरख जाग
राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता रे। हृदय शुद्ध नही कीन्हों मूरख, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में … हाथ सुमिरनी, पेट कतरनी, पढ़ै भागवत गीता रे। हिरदय सुद्ध किया नहीं बौरे, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में … और देव
बोलो राम जय जय राम, जन्म सफल होगा बन्दे, मन में राम बसा ले, हे राम नाम के मोती को, सांसो की माला बना ले, राम पतित पवन करुनाकर, और सदा सुख दाता, सरस सुहावन अति मनभावन, राम से प्रीत लगा ले, मन में राम बसा ले, मोह माया है झूटा बन्धन, त्याग उसे तू
अधरों पे जा सजी है कन्हैया तेरी ये वंशी। ये तान दे निराली बजैया तेरी ये वंशी। हम सबको बाँधती है तेरी राह और डगर पे, अब मन नहीं है बस में बसैया तेरी ये वंशी।। ये प्रेम तो अमर है राधा किशन से जग में। सब लोग दिख रहे है इसमें मगन से जग