Author: Gagan Sharma

मन में लगन हो तो, प्रभु मिल जाएंगे

प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो, मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे॥ ◾️ हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥ आराधन का गांव हो,तो मन खिल जाएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ श्रद्धा की जोत हो,मैन में ना खोट हो॥ करुणा का स्रोत हो,तो प्रभु श्री आएंगे॥ प्रेम की अगन हो……………….. ◾️ चरणों की

मन चंचल चल राम शरण में

माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई। एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए॥ मन चंचल चल राम शरण में। हे राम हे राम हे राम हे राम॥ ◾️ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र

प्रगटे हैं चारों भैया में, अवध में बाजे बधईया

प्रगटे हैं चारों भैया में, अवध में बाजे बधईया। जगमगा जगमग दियाला जलत है, झिलमिल होत अटरिया, अवध में बाजे बधईया॥ ◾️ कौन लुटावे हीरा मोती, कौन लुटावे रूपया, अवध में बाजे बधईया॥ ◾️ राजा लुटावे हीरा मोती, मैया लुटावे रूपया, अवध में बाजे बधईया॥ ◾️ झांझ मृदंग ताल डप बाजे, नाचत ता ता थैया,

पार होगा वही जिसे पकड़ोगे राम

पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा।। ◾️ तिरना क्या जाने, पत्थर बेचारे, तिरने लगे तेरे, नाम के सहारे, नाम लिखते आ गए है, पत्थर में प्राण, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा। पार होगा वहीँ, जिसे पकड़ोगे राम, जिसको छोड़ोगे, पलभर में डूब जाएगा।। ◾️ लंका जलाई, लांघा समुन्दर,

धीर वीरघम वीर साहसी वीरा

धीर वीरघम वीर साहसी वीरा शक्ति कुंज बलबीरा युद्ध तेज मय पराक्रमी आ जात राम बलबीरा राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम॥ ◾️ राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम

राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा

राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा, दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा। ◾️ इक दिन बीता खेल-कूद में,इक दिन मौज में सोया, देख बुढ़ापा आया तो क्यों पकड़ के लाठी रोया, अब भी राम सुमिर ले नहीं तो पड़ेगा काल हथौड़ा, दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा। ◾️ अमृतमय है नाम हरी

देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के

अरि मध्य दिवस न मी तिथि ना अति शीत ना घाम ओ ओ कौशल्या के लाल बन प्रकट भए श्री राम॥ अरि देखे अवध हरसा के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के देखे अवध हरसा के जनम भयो राम लाला के॥ राम लाला

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु। कृपा कर अपनायो॥ जन्म जन्म की पूंजी पाई। जग में सबी खुमायो॥ खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे। दिन दिन बढ़त सवायो॥ सत की नाव खेवटिया सतगुरु। भवसागर तरवयो॥ मीरा के प्रभु गिरिधर नगर। हर्ष हर्ष जस गायो॥

देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े

देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े। अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े॥ लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही। मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही। रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े॥ करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर। क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर। जितने थे मन में राम

दुःख सुख दोनो कुछ पल के, कब आये कब जाये

दुःख सुख दोनो कुछ पल के कब आये कब जाये दुःख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढल जाये दुःख सुख दोनो कुछ पल के कब आये कब जाये दुःख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढल जाये हो.. शाम ढले ढल जाये दुःख तो हर प्राणी को होय राम ने भी दुःख झेला धैर्य