आए हैं प्रभु श्री राम, भरत फूले ना समाते हैं। तन पुलकित मुख बोल ना आए, प्रभु पद कमल रहे हिए लाये। भूमि पड़े हैं भरत जी, उन्हें रघुनाथ उठाते हैं॥ प्रेम सहित निज हिय से लगाए, नैनो में तब जल भर आए। मिल के गले चारो भैया, ख़ुशी के आंसू बहाते हैं॥ नर नारी
राम राम राम राम राम राम बोलो राम राम राम राम बोलो राम बोलो राम राम राम राम बोलो राम एक ही नाम जपो सुबह शाम राम राम राम बोलो राम राम राम एक ही नाम जपो सुबह शाम राम राम राम बोलो राम राम राम कौशल्या के प्यारे राम दशरथ राजदुलारे राम धन्य है
अयोध्या का है सुन्दर नजारा। ये तो तीर्थो में तीरथ है प्यारा॥टेक॥ अयोध्या है बड़ा मनभावन। हो ये तो भूमि बड़ी है पावन॥ वह प्रेम की सरयू धारा॥1॥ ये तो तीर्थो में तीरथ है प्यारा…. कोई गंगा में जाकर नहाए। हो कोई सरयू में डुबकी लगाए॥ यहाँ राम घाट है न्यारा॥2॥ ये तो तीर्थो में