इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है। इस बार नहाय खाय 28 अक्टूबर को है।
चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ये अर्घ्य लगभग 36 घंटे के व्रत के बाद दिया जाता है। 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
महाभारत के अनुसार, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे और प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। कथानुसार, सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी।
मान्यता है कि छठी मैया, सूर्यदेव की बहन हैं। सूर्यदेव को अर्घ्य देने पर छठी मैया खुश होकर सभी को सुख-शांति प्रदान करती हैं।