जल रही है राह का बन कर दिया, जाने कितनी रातो से तेरी सिया

Jal Rahi Hai Raah Ka Ban Kar Diya, Jaane Kitani Raato Se Teri Siya

जल रही है राह का बन कर दिया
जाने कितनी रातो से तेरी सिया
खो के बैठी खुद में तुमको राम जी
अपनी खातिर तो मैं हूँ बस नाम की

आँखे मेरी रात दिन बरसा करे
इक झलक पाने को बस तरसा करे
काली रातो की सुभह भी आएगी
एक दिन जीवन में खुशिया छायेंगी
आस मैंने तुझसे बस ये बांध ली
इक मनौती दिल से मैंने मान ली

आओगे तुम आओगे इक दिन कभी
सुन लो मेरी इल्तजा ओ राम जी

हो हो आ आ आ आ आ ……

प्यार अपना मैं दिखा सकती नहीं
और दिल में भी दबा सकती नहीं
रात दिन बेचैन धड़कन किसलिए
इश्क है तो है ये उलझन किस लिए
कैसी है ये धुंध कुछ दिखता नहीं
राह कुछ दिखाओ मुझको राम जी

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