मन चंचल चल राम शरण में

Man Chanchal Chal Raam Sharan Mein

माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर।
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥

माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई।
एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए॥

मन चंचल चल राम शरण में।
हे राम हे राम हे राम हे राम॥

◾️ राम ही तेरा जीवन साथी,
मित्र हितैषी सब दिन राती।
दो दिन के हैं यह जग वाले,
हरी संग हम हैं जनम मरण में॥

◾️ तुने जग में प्यार बढाया,
कितना सर पर भार उठाया।
पग पग मुश्किल होगी रे पगले,
भाव सागर के पार तरन में॥

◾️ कितने दिन हंस खेल लिया है,
सुख पाया दुःख झेल लिया है।
मत जा रुक जा माया के संग,
डूब मरेगा कूप गहन में॥

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