कहाँ जा छिपे हो जाकर के कान्हा।Verified Lyrics 

Kahan Ja Chhipe Ho Jakar Ke Kanha

कहाँ जा छिपे हो जाकर के कान्हा ।
अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।

जब से गये हो यहाँ से पाती ना पढ़ाई।
तेरी याद में झेलें भारी हम तबाई।
शोभा न देता प्यारे यों छिप के जाना।
अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।।

तिनका न खायें गऊएं भारी तडफड़ायें।
तेरी याद में गोपी खाना तक न खायें।
आजा ओ मुरली वाले मुरली ध्वनि सुनाना।
अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।।

बाट जो हता माखन मटकी भरी है।
तेरी याद में बृज की लता तक जरी हैं।
कालीदह से कालिया भी हो गया रबाना।
अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।।

निठुर बना है भारी दया तक न आये।
नैनों में बसालूँ तुझको जो अबके मिल जाये।
महावीर विरह में तो तेरी हो गया दिवाना।
अब तक मिला नहीं हमको ठिकाना।।

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