थारा डम डम डमरू बाजे रे, बाजे रे,

Thara Dam Dam Damru Baaje Re, Baaje Re,

थारा डम डम डमरू बाजे रे, बाजे रे,
शिव शंकर कैलाश पति संग गौरां नाचे रे।
शंकर नाचे गौरां नाचे नाच रहे गणराई।
नंदीगण सुर ताल दे रहे ढोलक झांझ बजाई।।1।।
कैलाशी काशी के वासी, अजर अमर अविनाशी।
भक्तां का दुख फिरे बांटता, कटे यम की फांसी।।2।।
महल अटारी जग ने बांटया, आप बन्या बनवासी।
रावण ने सोना की लंका दे दी बात जरा सी।।3।।
नाचत नाचत भांग चढ़ गई, अब नाच्यो न जावे।
गोरा मैया झूम झूम कर, भंगिया घोट पिलावे।।4।।
सब देवन में देव बड़ा पर नाम धरया है नंगा।
दास ‘चिरंजी’ श्यामल देह पर लिपटे कई भुंजगा।।5।।

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