राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक, तीनों लोक में छाये रही है। भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन, फिर भी दीप जलाये रही है। कृष्ण को गोकुल से राधे को… बरसाने से बुलाय रही है। दोनों करो स्वीकार कृपा कर, जोगन आरती गाये रही है। दोनों करो स्वीकार कृपा कर, जोगन आरती गाये रही है। भोर भये
शनि शिंगणापुर से मेरा भाग खुल गया रे, जादू हो गया रे कैसा जादू हो गया रे। बचपन से सुनता आया शनि की कहानी रे, आज मुझे याद आई अमृत की वाणी रे, सपने में कोई मुझे मंत्र दे गया रे, जादू हो गया रे कैसा जादू हो गया रे। जाग उठा मैं तो लगी
अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, हम भौंरे हैं जनम जनम के, निस दिन दे दे पेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, अम्बे, चरण कमल हैं तेरे, तु धरती जग पालन करती, अम्बर का आधार है तू, सब सुख झूठे, सब दुख झूठे, इस जीवन कर सार है तू, तु सत्यम्
कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है, ऎसे श्री भगवान को, बारंबार प्रणाम है-२ कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है, ऎसे श्री भगवान को-२ बारंबार प्रणाम है-२ यशोदा जिनकी मैया है, नंद जी बापैया है, ऎसे श्री गोपाल को-२ बारंबार प्रणाम है। लूट-लूट दधि माखन खायो, ग्वाल-बाल संग धेनु चरायो, ऎसे लीला-धाम
बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन बिना रे॥ बाल अवस्था खेल गवांयो। जब यौवन तब मान घना रे॥ बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन बिना रे॥ लाहे कारण मूल गवाँयो। अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥ बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन
हरी दर्शन की प्यासी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी, देखयो चाहत कमाल नयन को, निसदीन रहेत उदासी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी। केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के वासी, नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम, डाल गये गल फाँसी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी। काहु के मन की को जानत, लोगन के मन हासी, सूरदास
सुख-वरण प्रभु नारायण हे, दु:ख-हरण प्रभु नारायण हे, त्रिलोकपति दाता सुखधाम, स्वीकारो मेरा परनाम-२ स्वीकारो मेरा परनाम प्रभु। मन वाणी में वो शक्ति कहाँ जो, महिमा तुम्हरी गान करें, अगम अगोचर अविकारी, निर्लेप हो हर शक्ति से परे, हम और तो कुछ भी जाने ना, केवल गाते हैं पावन नाम, स्वीकारो मेरा परनाम, स्वीकारो मेरा
मुझे राधे राधे कहने दे, ओ पापी मन रुक जा जरा, रुक जा जरा रे मन रुक जा जरा, मुझे राधे राधे कहने दे, ओ पापी मन रुक जा जरा।। गर्भ में प्रभु से जो वादा किया है, अब तक मैंने ना पूरा किया है, मुझे वादा निभाने दे, ओ पापी मन रुक जा जरा,
मैंने सारे सहारे छोड़ दिए, बस तेरा सहारा काफी है, मुझे चाह नहीं दुनिया भर की, बस तेरा नज़ारा काफी है, मैंने सारे सहारे छोड़ दिए, बस तेरा सहारा काफ़ी है। तेरी चाहत में जग छूट गया, पर तू मुझसे क्यों रूठ गया, मैं डूब रहा भव सागर में-२ बस आना तुम्हारा बाकी है, मैंने
मोहन प्रेम बिना नही मिलता, चाहे कर लो लाख उपाए, मोहन प्रेम बिना नही मिलता। मिले न यमुना सरस्वती में, मिले न गंग नहाए, प्रेम सरोवर में जब दुबे प्रभु की झलक लो खाए, मोहन प्रेम बिना नही मिलता। मिले न पर्वत में निर्जन में मिले न वन वर्माये, प्रेम भाग घुमे तो प्रभु को