शारदे माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ… हे शारदे माँ..।। हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तारदे माँ… हे शारदे माँ..।। तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे, हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे हम है
टेर : भजले मन मेरा शंकर दीनदयाल । शीश ऊपर बहती, जिनके गंगाजी की धार है,मारती हिलोरे नर, नैया बेडा पार है गले बीच शेष सोहे, सर्पों का हर है भस्मी रमावे शिव, गले मुंड माल है डमरू बजावे भोला, बैल पर असवार है बाएं अंग पार्वती शोभा, अपमम्पार है। सच्चा तो सुनता सवाल क्रोध
टेर : सुमिरण करले मेरा मना बीती उम्र हरि नाम बिना। हस्ती दन्त बिना, पंछि पंख बिना, जिमि राहगीर है पथ बिना। वैश्या का पुत्र पिता बिन हिना, जिमि प्राणी हो प्राण बिना।। सुमिरण करले…… धेनु क्षीर नदियाँ नीर बिन, जैसे नारी पुरुष बिना। जैसे तरवर फल बिन सुना, जिमि धरती रहे मेघ बिना।। सुमिरण
टेर : भज शंकर दीन दयाल कटे भव जाल कटे चौरासी शंकर काशी के बासी। शंकर….. मस्तक पे चंद्र बिराजे दर्शन से पातक भाजे, श्री नीलकंठ भगवन नाम अविनाशी। शंकर….. तेरी जटा में गंगा की धारा काटे पाप जगत का सारा हो सुमिरन से कल्याण कटे यम फांसी। शंकर….. जब पिले भांग का प्याला फिर
टेर : लेके गौरा जी को साथ भोले भाले भोले नाथ, काशी नगरी से आया है शिवशंकर। नंदी पर सवार होके, डमरू बजाते, चले आ रहे है, भोले माया रचाते, पहरे नर मुंडो की माल, पहरे ऊपर से मृग छाल। काशी नगरी….. हाथ में त्रिशूल लिये, भस्मी रमाये, झोली गले में डालें, गोकुल में आये,
टेर : कोणी माने ऐ यशोदा तेरो गिरधारी। घर का तो छोड़ा कान्हा, महल मालिया, गुजारी की झोपड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ….. घर का तो छोड़ा कान्हा, माखन मिसरी, तने गुजरी की राबड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ….. घर का तो छोड़ा कान्हा, पलंग पथरना, तने गुजरी की गुदड़ी, लगे प्यारी। कोणी माने ऐ…..
सीताराम सीताराम सीताराम बोल। राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल॥ यह दुनिया है गोरख-धन्धा, भेद समझता कोई-कोई बन्दा। ब्रह्म स्वरुप तराजू तोल, सीताराम सीताराम सीताराम बोल॥1॥ क्यों विषयों में मन को लगाया, पालनहार को दिलसे भुलाया। जीवन मिट्टी में ना रोल, राधेश्याम राधेश्याम राधेश्याम बोल॥2॥ भज ले रे मन! कृष्ण मुरारी, नटवर-नागर कुञ्जबिहारी। ना लगता कछु तेरा
हम आपके लिए लाये है बाल गोपाल कृष्ण के मनमोहक भक्ति भावपूर्ण भजन लिरिक्स जो आपको भाव विभोर कर देंगे बाल कृष्ण की के भक्तो के लिए बहुत प्यारा भजन लिरिक्स। जय श्री कृष्ण हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की। टेर : मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो। भोर भये गइयन के पीछे मधुबन
मैं तो कृष्ण भजु या राम : कृष्ण जी और राम जी दोनों एक ही है। एक भगत की भावना को इस भजन में बहुत ही सूंदर शब्दों में व्यक्त किया गया है। श्री राम…… राम…….राम……हो हो राम…… राम कृष्ण दोहु एक…. है एक है …… एक है राम कृष्ण दोहु एक…. है अंतर
दोहा : राम नाम के कारण सब धन दीन्हा खोय, मूर्ख जाणो घट गयो दिन दिन दूनो होय। टेर : राम नाम का सुमिरन करले फेर प्रेम की माला, उसका दुश्मन क्या कर सकता जिसका राम रखवाला। हिरणाकुश प्रह्लाद भगत का जनि दुशमन बनके, जल्लादों को हुकम दे दिया फांसी दो दुश्मन के, बांध पोट