घणी दूर से दोड्यो, थारी गाडुली के लार……Verified Lyrics 

Ghani Dur Se Dodya, Thari Gaduli Ke Laar

घणी दूर से दोड्यो, थारी गाडुली के लार…….,
गाडी में बिठाले रे… बाबा, जाणो है नगर अंजार…
नरसी बोल्यो म्हारे सागे के करसी….
ओढ़न कपडा नाही बैठ सियां मरसि….
बूढ़ा बैल टूटेड़ी गाडी पैदल जावे हार….
गाडी में बिठाले रे बाबा जाणो है नगर अंजार…..
ज्ञान दासजी कहवे….. गाडुली तोड़ेला…
ज्ञान दासजी कहवे तुमड़ा फ़ोड़ेला…….
घणी भीड़ में टूटे म्हारे एक तारा रो तार,
गाडी में बिठाले रे….. बाबा… जाणो है नगर अंजार…..
नानी बाई रो भात देखबो चालू लो…
पूर्ण पावलो थाली…. में भी डालूँ लो…..
दोए चार दिन चोखा चोखा….. जीमूँ जीमनवाल,
गाडी में बिठाले रे बाबा जाणो है नगर अंजार…..
जोड़े ऊपर बैठ हाकसूं में नारा……
थे करज्यो आराम दाबसू पग थारा…..
घणी चार के तड़के थाने पहुचाँ देऊँ अंजार,
गाडी में बिठाले रे बाबा….. जाणो है नगर अंजार…..
टूट्योड़ी गाडी भी… आज… विमान बनी,
नरसी गावे भजन सुने खुद श्याम धणी….
सूर्य सारा पीठ थापे अरेरे…. जीवतो रे मोट्यार……
गाडी में बिठाले रे बाबा जाणो है नगर अंजार…..

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