मन की आखों से मै देखूँ रूप सदा सियाराम का।

Man Ki Aakhon Se Mai Dekhoon Roop Sada Siyaram Ka.

किस काम के यह हीरे मोती, जिस मे ना दिखे मेरे राम।
राम नहीं तो मेरे लिए है व्यर्थ स्वर्ग का धाम॥
मन की आखों से मै देखूँ रूप सदा सियाराम का।
कभी ना सूना ना रहता आसन मेरे मन के धाम का॥

◾️राम चरण की धुल मिले तो तर जाये संसारी।
दो अक्षर के सुमिरन से ही दूर हो विपता सारी॥
धरती अम्बर गुण गाते है मेरे राम के नाम का॥

◾️हर काया मे राम की छाया, मूरख समझ ना पाया।
मन्दिर, पत्थर मे क्यों ढूंढे, तेरे मन मे समाया॥
जिस मे मेरे राम नहीं है, वो मेरे किस काम का

◾️दुखियो का दुःख हरने वाले भक्त की लाज बचाओ।
हंसी उड़ाने वालो को प्रभु चमत्कार दिखलाओ
मेरे मन के मन्दिर मे है मेरे प्रभु का धाम।
मेरे अंतर के आसन पर सदा विराजे राम॥

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