ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया

Tana Re Tana Vibhishan Ka Jisko Nahi Suhaya.

ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया
भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया
बैठे राम राम राम सीता राम राम राम

देख राम सीता की मूरत लंकापति घबराया
धन्य है रे बजरंगी उसको जिसका तू है जाया
शर्मिंदा हो लंकपति ने अपना शीश झुकाया
भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया
बैठे राम राम राम सीता राम राम राम

देख भगत की भक्ति सीता बोली सुन ऐ लाला
अजर अमर होगा तू जग में वर इनको दे डाला
श्री राम ने भी तो इनको भरत समान बताया
भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया
बैठे राम राम राम सीता राम राम राम

तुम त्रेता में तुम द्वापर में तुम ही हो कलयुग में
आना जाना जग वालो का तुम रहते हर जुग में
‘राजपाल’ बजरंग ही जाने बजरंगी की माया
भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया
बैठे राम राम राम सीता राम राम राम

ताना रे ताना विभीषण का जिसको नहीं सुहाया
भरी सभा में फाड़ के सीना बजरंग ने दिखलाया
बैठे राम राम राम सीता राम राम राम

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