गर हो तेरी दया का इशारा, डूबता हो कोई मिलता

Gar Ho Teri Daya Ka Eshara, Dubta Ho Koi Milta

गर हो तेरी दया का इशारा।
डूबता हो कोई मिलता पल भर में उसको किनारा।
ग्राह गज में हुई थी लड़ाई।
गज ने आवाज तुमको लगाई।
गर न होती दया मारा जाता वो गजराज बेचारा।
शिवरी देखे थी बाट तिहारी।
राह में निशदिन लगाती बुहारी।
जो ही दर्शन किये कर गई पल भर में जग से किनारा।
मीरा ने पाया नाच और गाके।
गणिका तर गई सुवा को पढ़ाके।
सेना नाई तरा भक्त धन्ना का चमका सितारा।
भात नरसी का तूने भरा था।
तेरी कृपा से प्रलाह्द तरा था।
भक्त रैदास ने द्देख तेरी दया का नजारा।
तेरा गुण रात दिन में गाऊं।
कैसे तुमको प्रभु मैं रिझाऊं।
यों चिरंजी कहे कैसे पाऊँ मैं दर्शन तुम्हारा।

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